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उत्तराखंड: लोगों को 800 करोड़ का चूना लगाकर चिटफंड कंपनी फरार, कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

नैनीताल: एलयूसीसी नामक चिटफंड कंपनी उत्तराखंड के कई जिलों के लोगों को आठ सौ करोड़ का चूना लगाकर गायब हो गई। बीते बुधवार को हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के दौरान उत्तराखंड सरकार को इसका जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

बीते बुधवार 2 जुलाई को हाईकोर्ट नैनीताल में चिटफंड कंपनी घोटाले के मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने उत्तराखंड सरकार को इस मामले में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए। राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया गया है। हाईकोर्ट ने इस मामले में सीबीआइ के अधिवक्ता को भी अपनी राय देने को कहा है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि दो सप्ताह बाद की निर्धारित की है। सुनवाई के दौरान याचिका में यह भी सवाल उठाया गया कि जब राज्य में कोई बाहरी कंपनी बिना पंजीकरण के काम कर रही थी, उस समय सरकार और सोसाइटी के सदस्य क्या कर रहे थे। इसलिए पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कराई जानी चाहिए।
स्थानीय लोगों को लालच देकर कराया था निवेश

ऋषिकेश निवासी आशुतोष ने जनहित याचिका दायर कर बताया कि साल 2021 में LUCC (Loni Urban Multi-State Credit & Thrift Co-operative Society) नामक चिटफंड कंपनी ने उत्तराखंड के देहरादून, ऋषिकेश और पौड़ी गढ़वाल में अपना ऑफिस खोला। कंपनी ने उत्तराखंड के अलग-अलग जिलों में लोगों को तरह-तरह के लाभ देने का लालच दिया और फिर स्थानीय लोगों को अपना एजेंट नियुक्त किया। इन लोगों ने अपने रिश्तेदारों को भी चिटफंड कंपनी में निवेश करने के लिए प्रेरित किया। स्थानीय लोगों ने इस कंपनी में निवेश किया, लेकिन 2023 -24 में कंपनी अपने कार्यालय बंद कर उत्तराखंड से गायब हो गई।
उत्तराखंड में 14 और अन्य राज्यों में 56 मुकदमे दर्ज

चिटफंड कंपनी ने उत्तराखंड में सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत अपना रजिस्ट्रेशन नहीं कराया था। उत्तराखंड के लोगों ने इस फ्रॉड कंपनी में करीब 800 करोड़ रूपये निवेश किए थे, कम्पनी के गायब होने के बाद पीड़ित लोगों ने शिकायत दर्ज करवाई। निवेशकों की शिकायत के आधार पर उत्तराखंड में 14 और अन्य राज्यों में कंपनी के खिलाफ 56 मुकदमे दर्ज किए गए हैं। इस मामले की जांच में यह पता चला है कि इस मामले का मुख्य आरोपित दुबई भाग चुका है। अब निवेशक अभिकर्ताओं को परेशान कर रहे हैं, और अभिकर्ताओं को पुलिस भी तंग कर रही है।

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