रुद्रप्रयाग: रुद्रप्रयाग जिले की बांगर पट्टी के ग्रामीणों का दशकों पुराना संघर्ष आखिर प्रशासन तक गूंज ही गया है। बधाणीताल से भुनाल गांव तक 9 किलोमीटर लंबे प्रस्तावित मोटरमार्ग के निर्माण की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे तीन ग्रामीणों में से दो की तबीयत बिगड़ने के बाद जिला प्रशासन और लोक निर्माण विभाग के हाथ-पांव फूल गए।
रुद्रप्रयाग विधानसभा की बांगर पट्टी के ग्रामीण पिछले साढ़े तीन दशकों से बधाणीताल से भुनाल गांव तक सड़क निर्माण की मांग कर रहे हैं। यह मार्ग बनने से न केवल 16 ग्राम पंचायतें पश्चिमी बांगर की और 6 ग्राम पंचायतें पूर्वी बांगर की लाभान्वित होंगी, बल्कि क्षेत्र की लगभग 15 से 20 हजार की आबादी को राहत मिलेगी। वर्तमान में ग्रामीणों को मयाली-पांजणा-बसुकेदार-छेनागाड़ या मयाली-तिलवाड़ा-अगस्त्यमुनि-गुप्तकाशी-छेनागाड़ जैसे लंबी परिक्रमा वाले रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है, जिससे यात्रा दूरी लगभग 84 किलोमीटर तक बढ़ जाती है। इस कारण व्यापारिक गतिविधियाँ प्रभावित होने के साथ ही गर्भवती महिलाओं और बीमारों को समय पर उपचार भी नहीं मिल पाता है। अब ग्रामीण सड़क मांग को लेकर कई दिनों से अनशन आमरण पर बैठे थे।
अस्पताल जाने से किया इनकार
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जब अनशनकारियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया तो बुजुर्ग ग्रामीणों का वजन और शुगर लेवल सामान्य से बहुत कम पाया गया। टीम ने 108 एंबुलेंस सेवा को बुलाया लेकिन ग्रामीणों ने अस्पताल जाने से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वे तब तक अनशन स्थल नहीं छोड़ेंगे जब तक विधायक भरत सिंह चौधरी, जिलाधिकारी प्रतीक जैन और डीएफओ रजत सुमन मौके पर नहीं पहुंचते। उसके बाद आज 6 नवंबर को गंभीर स्थिति को देखते हुए सबसे पहले विधायक मौके पर पहुंचे। ग्रामीणों ने उनसे भी डीएम और डीएफओ को बुलाने की मांग की। उसके बाद जिलाधिकारी और डीएफओ भी मौके पर पहुंचे।
35 वर्षों से कर रहे हैं सड़क की मांग
अनशन पर बैठे ग्रामीणों ने मौके पर पहुंचे विधायक और अधिकारियों से कहा कि वे लोग पिछले 35 वर्षों से सड़क की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक केवल आश्वासन ही मिले हैं। उन्होंने कहा, “अब हम आश्वासन नहीं, कार्रवाई चाहते हैं। जब तक सड़क निर्माण की ठोस प्रक्रिया शुरू नहीं होती, हम पीछे नहीं हटेंगे।”
करीब 1,271 पेड़ होंगे प्रभावित
डीएम प्रतीक जैन ने ग्रामीणों से कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा उन्हें इस प्रकरण पर शीघ्र कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। इस मोटरमार्ग की फाइल वर्ष 2021 से प्रक्रिया में है, जिसमें लगभग 8 किलोमीटर हिस्सा वन भूमि से गुजरता है। इस मार्ग के निर्माण से करीब 1,271 पेड़ प्रभावित होंगे, जिनमें बांज और बुरांश जैसी प्रजातियां शामिल हैं। एनजीटी और वन विभाग के नियमों के अनुसार जितनी भूमि सड़क निर्माण में आएगी, उतनी ही भूमि पर वृक्षारोपण भी अनिवार्य है। इसी क्रम में तीनों विभागों—वन, राजस्व और लोनिवि—द्वारा संयुक्त निरीक्षण कर लगभग 3.5 हेक्टेयर भूमि वृक्षारोपण के लिए चिन्हित की जा चुकी है।
जिलाधिकारी ने ग्रामीणों को किया आश्वस्त
जिलाधिकारी ने कहा कि कल शुक्रवार को डीएफओ इस भूमि का स्थलीय निरीक्षण करेंगे और इसके बाद तीन दिनों के भीतर फाइल शासन को भेज दी जाएगी। लोक निर्माण विभाग ने भी मार्ग का डीपीआर तैयार करने का कार्य शुरू कर दिया है। उन्होंने ग्रामीणों को आश्वस्त किया, “यह मेरी व्यक्तिगत जिम्मेदारी है कि बांगर पट्टी को जल्द सड़क मार्ग से जोड़ा जाए।” शासन स्तर पर औपचारिकताएँ पूरी होते ही एक माह के भीतर फाइल भारत सरकार को फॉरेस्ट क्लीयरेंस हेतु भेज दी जाएगी। इसके साथ ही केंद्र से अनुरोध किया जाएगा कि तीन माह के भीतर अनुमति प्रदान की जाए।
20 हजार ग्रामीणों की जीवनरेखा बनेगी
विधायक भरत सिंह चौधरी, डीएम प्रतीक जैन और डीएफओ रजत सुमन ने काफी देर तक बातचीत के बाद अनशनकारियों को जूस पिलाकर आमरण अनशन समाप्त करवाया। ग्रामीणों ने अधिकारियों के आश्वासन पर विश्वास जताते हुए फिलहाल आंदोलन स्थगित कर दिया है। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि यदि वादा पूरा नहीं हुआ, तो वे लोग फिर से आंदोलन करेंगे। अगर प्रशासन वादे के अनुसार कार्रवाई करता है, तो यह 20 हजार ग्रामीणों की जीवनरेखा बनने के साथ ही, स्थानीय पर्यटन, व्यापार और स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में भी नए अवसर खोलेगी।
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