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उत्तराखंड: हाईकोर्ट ने मतदाता सूची की वैधता पर उठाये सवाल, हिन्दीभाषी ADM की भी होगी जांच

नैनीताल: हाईकोर्ट में नैनीताल के एडीएम और निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी से जब अंग्रेजी भाषा की जानकारी के संबंध में प्रश्न पूछा गया, तो उन्होंने बताया कि वे अंग्रेजी समझ सकते हैं, लेकिन फर्राटेदार बोल नहीं पाते हैं। इस पर कोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयुक्त और मुख्य सचिव को इस मामले की जांच करने के लिए निर्देशित किया है।

दरअसल, नैनीताल हाईकोर्ट में मतदाता सूची तैयार करने की प्रक्रिया से संबंधित याचिका की सुनवाई के दौरान नैनीताल के एडीएम भी उपस्थित थे। याचिका में यह प्रश्न उठाया गया था कि क्या केवल परिवार रजिस्टर को आधार मानकर वोटर लिस्ट में लोगों का नाम शामिल करना उचित है? SEC की ओर से अदालत को बताया गया कि बूथ स्तर के अधिकारी घर-घर जाकर जानकारी एकत्र करते हैं। वे किसी एक प्रतिनिधि से पूरे परिवार के नाम लेकर, बिना किसी सहायक दस्तावेज या पहचान प्रमाण के, अस्थायी मतदाता सूची में दर्ज करते हैं। यदि इन प्रविष्टियों पर कोई आपत्ति नहीं आती, तो उन्हें अंतिम सूची में शामिल कर दिया जाता है।
मतदाता सूची की वैधता पर गंभीर सवाल

मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति आलोक महरा और न्यायमूर्ति नरेद्र की खंडपीठ ने SEC (Securities and Exchange Commission) से पूछा कि क्या वोटर लिस्ट में नाम जोड़ते समय कोई वैध दस्तावेज या पहचान प्रमाण एकत्र किया गया था या नहीं? इस सवाल पर वकील ने कोर्ट को बताया कि केवल परिवार रजिस्टर के आधार पर वोटरलिस्ट में नाम जोड़ा हटा है, इसके लिए किसी अन्य दस्तावेज की आवश्यकता नहीं पड़ती है। कोर्ट ने इस जवाब पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि यह तरीका पूरे राज्य में अपनाया जा रहा है, तो इससे मतदाता सूची की वैधता पर गंभीर प्रश्न उठते हैं।
जिस अधिकारी को अंग्रेजी नहीं आती, क्या वो कार्यकारी पद संभाल पता है

इस दौरान हाईकोर्ट में उपस्थित नैनीताल ADM ने कोर्ट द्वारा पूछे गए सवालों का उत्तर हिंदी में दिया, जिस पर कोर्ट ने उनसे अंग्रेजी भाषा की जानकारी के बारे में प्रश्न किया। कोर्ट के प्रश्न पर ADM नैनीताल ने बताया कि वे अंग्रेजी समझ सकते हैं, लेकिन धाराप्रवाह बोलने में असमर्थ हैं। ADM के इस उत्तर पर अदालत ने राज्य निर्वाचन आयुक्त और मुख्य सचिव (CO) को इस मामले में जांच करने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने दोनों अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे इस बात की जांच करें कि क्या एक ऐसा अधिकारी, जो खुद यह स्वीकार करता है कि उसे अंग्रेजी बोलनी नहीं आती, एक कार्यकारी पद को प्रभावी रूप से संभालने की स्थिति में है? हाईकोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को निर्धारित की है।

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