धराली में खीर गंगा से निकली तबाही के कारणों की तलाश के लिए देशभर की एजेंसियां जुटी हैं। क्योंकि, जल प्रलय के पीछे बादल फटने के जो प्रारंभिक कारण माने जा रहे थे, उन्हें पुष्ट नहीं किया जा सका है। इसकी वजह यह है कि संबंधित क्षेत्र में वर्षा की इतनी तीव्रता रिकार्ड नहीं की गई, जो इस तरह घटना की पुष्टि कर सके।
लिहाजा, अब विज्ञानी अन्य कारणों की पड़ताल में भी तेजी से जुट गए हैं। उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) के पूर्व निदेशक और एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विवि के भूविज्ञान के एचओडी प्रो. एमपीएस बिष्ट ने भी सेटेलाइट चित्रों के अध्ययन के आधार पर कुछ निष्कर्ष निकाले हैं। जिसमें उन्होंने पाया है कि खीर गंगा के उद्गम श्रीकंठ पर्वत के ग्लेशियर में ऐसा कुछ हुआ है, जिससे इतनी बड़ी जलप्रलय आ गई।
प्रो. एमपीएस बिष्ट के अनुसार, नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर हैदराबाद से पांच अगस्त के सेटेलाइट चित्र प्राप्त किए गए। हालांकि, ग्लेशियर क्षेत्र में पूरे क्षेत्र में बादल होने के कारण स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई। हालांकि, वर्ष 2022-23 के सेटेलाइट चित्र में ग्लेशियर की बैकवॉल में बड़ी बड़ी दरारें नजर आ रही हैं। इसके अलावा निचले क्षेत्र में 50 से 60 मीटर ऊंचे मलबे के ढेर दिख रहे हैं।