देहरादून: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की सहकारी निरीक्षक भर्ती परीक्षा से पहले एक बार फिर फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। आयोग की ओर से कराई गई गोपनीय जांच में गाजियाबाद के अभ्यर्थी ने तीन अलग-अलग नाम से परीक्षा में शामिल होने की कोशिश की थी। शुक्रवार को आरोपी के खिलाफ रायपुर थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) की गोपनीय जांच में खुलासा हुआ कि गाजियाबाद जिले के भोजपुर मोदीनगर क्षेत्र के कनकपुर में रहने वाले सुरेंद्र कुमार ने सहकारी निरीक्षक भर्ती परीक्षा के लिए तीन अलग-अलग आवेदन फॉर्म भरे थे। उसने हर आवेदन में नया मोबाइल नंबर और कुछ बदले हुए विवरण दिए थे। आरोपी द्वारा अपने पिता के नाम की स्पेलिंग में मामूली बदलाव करके तीन अलग-अलग पहचान तैयार की गई। जांच में यह भी सामने आया कि उसने फर्जी शैक्षिक प्रमाणपत्र, जाति प्रमाणपत्र, और स्थायी निवास प्रमाणपत्र लगाए। यहां तक कि उसने सेवायोजन विभाग की फर्जी इंप्लाई आईडी का उपयोग किया था।
स्थायी निवास से लेकर शैक्षिक योग्यता तक सब फर्जी
अधिकारियों के अनुसार, आरोपी द्वारा लगाए गए सभी दस्तावेजों की जांच की गई। जिसमें स्थायी निवास प्रमाणपत्र में किसी भी अधिकारी का हस्ताक्षर नहीं था, जबकि उस पर उत्तराखंड सरकार का नाम छपा हुआ था। ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) प्रमाणपत्र की भी पुष्टि में फर्जीवाड़ा पाया गया। शैक्षिक योग्यता के दस्तावेजों में भी गड़बड़ी मिली — आरोपी ने तीन बार अलग-अलग फॉर्मों में ग्रेजुएशन पास दिखाया था। ऐसे में सुरेंद्र कुमार पर आरोप है कि उसने परीक्षा में अनुचित लाभ पाने और चयन प्रक्रिया को प्रभावित करने के उद्देश्य से यह फर्जीवाड़ा किया है।
विशेष टीम द्वारा आरोपी की तलाश जारी
देहरादून एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि UKSSSC सहकारी निरीक्षक पद की परीक्षा से पहले आयोग की ओर से जब डेटा की जांच की गई तो एक अभ्यर्थी के विवरण संदिग्ध पाए गए। इसके बाद आयोग ने इस मामले की गोपनीय जांच कराई। जांच के नतीजे में सुरेंद्र कुमार का नाम सामने आने पर एसओजी प्रभारी इंस्पेक्टर मुकेश त्यागी की ओर से रायपुर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया। आरोपी की गिरफ्तारी के लिए एक विशेष टीम गठित कर दी गई है, आरोपी की गिरफ्तार के बाद उससे पूछताछ में अन्य संभावित सहयोगियों की भी जानकारी मिलने की उम्मीद है।
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