विश्व मलेरिया दिवस हो और अल्मोड़ा को रोनाल्ड रास याद न आएं, ऐसा हो ही नहीं सकता। इस शख्सियत का नाम भले ब्रिटिशकाल के अतीत की ओर ले जाता हो, मगर इन्होंने अल्मोड़ा में रहकर जो काम किया, वह वर्षों बीतने के बाद भी इस सांस्कृतिक शहर की स्मृतियों में दर्ज है।
डा. रोनाल्ड रास को मलेरिया रोग की पहचान करने के लिए जाना जाता है। उनका जन्म अल्मोड़ा के थामसन हाउस में हुआ था। थामसन हाउस आज भी इस शहर की धरोहर है।
पिछले तीन वर्षों में मलेरिया का एक भी मामला नहीं मच्छर के काटने से मलेरिया रोग फैलने की खोज करने पर उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। रोनाल्ड रास की जन्मस्थली अल्मोड़ा में पिछले तीन वर्षों में मलेरिया का एक भी मामला सामने नहीं आया है। इससे स्वास्थ्य विभाग को भी राहत मिली है।गर्मी बढ़ने, शहरों के लगातार प्रदूषित होने से मलेरिया का खतरा भी बढ़ने लगा है। गर्मी के मौसम में तो अब पहाड़ में भी मच्छरों का प्रकोप होने लगा है। लेकिन जागरुकता, समयबद्ध कारगर रणनीति से यहां बीते तीन वर्षों में कोई भी व्यक्ति मलेरिया का शिकार नहीं हुआ है।