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बदरीनाथ: 12 वर्षों बाद बैकुंठ धाम में शुरू हुआ पुष्कर कुंभ, देश-विदेश से लगा श्रद्धालुओं का तांता

चमोली: बदरीनाथ धाम में स्थित माणा गांव के केशव प्रयाग में 12 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद पुष्कर कुंभ का आयोजन हो रहा है। कुंभ का शुभ मुहूर्त आते ही श्रद्धालुओं की भीड़ आस्था की डुबकी लगाने के लिए उमड़ पड़ी।

उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित बदरीनाथ से तीन किलोमीटर दूर माणा गांव स्थित है, इस गांव को देश का पहला गांव माना जाता है। माणा गांव तिब्बत की सीमा के निकट स्थित है। बुधवार, 14 मई को विधिपूर्वक पूजा अर्चना के बाद हर 12 वर्ष में आयोजित होने वाला पुष्कर कुंभ मेला आरंभ हुआ। जिला प्रशासन और पुलिस ने तीर्थ यात्रियों की सुविधा के लिए व्यापक प्रबंध किए हैं। पुष्कर कुंभ के आयोजन के लिए पैदल मार्ग को बेहतर बनाया गया है और श्रद्धालुओं की सुविधा हेतु विभिन्न भाषाओं में साइन बोर्ड लगाए गए हैं, साथ ही निरंतर निगरानी भी की जा रही है।
देश-विदेश से लगा श्रद्धालुओं का तांता

बीते गुरुवार को दस हजार से अधिक भक्तों ने अलकनंदा और सरस्वती नदियों के संगम पर स्नान किया। भक्तों ने स्नान के साथ-साथ अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण भी किया। सुबह पांच बजे से ही केशव प्रयाग के पवित्र जल में स्नान के लिए भक्तों का आना शुरू हो गया। श्रद्धालुओं ने स्नान करने के बाद सरस्वती मंदिर के दर्शन भी किए। दिनभर भीम पुल से केशव प्रयाग तक जाने वाला पैदल रास्ता श्रद्धालुओं से भरा रहा।
वेदपाठ और मंत्रोच्चार से गूंज उठा प्रयाग

केशव प्रयाग में आयोजित कुंभ मेले में दक्षिण भारत के आचार्यगणों की महत्वपूर्ण उपस्थिति रही। मेले में लगभग 25 ब्राह्मणों ने यहां आकर श्रद्धालुओं की पूजा-अर्चना, तर्पण और पिंडदान की विधियों को सम्पन्न कराया। पूरा माणा गांव का वातावरण पारंपरिक वेदपाठ और मंत्रोच्चार से गूंज उठा। उड़ीसा से आए कामेश्वर राव ने बताया कि यह उनका पहला पुष्कर कुंभ है, इस आध्यात्मिक अनुभव को वे जीवनभर नहीं भूलेंगे। उन्होंने बताया कि देशभर में कुल 12 नदियों पर पुष्कर कुंभ का आयोजन होता है, और इस बार माणा में यह विशेष संयोग बना।

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