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धर्मांतरण के जाल में फंसी उत्तराखंड की बेटी 7 सालों से लापता, शिकायत तक नहीं हुई दर्ज

देहरादून: धर्मांतरण के मास्टरमाइंड छांगुर बाबा के सबसे करीबी गुर्गे बदर अख्तर सिद्दीकी पर कई युवतियों को लापता करने के आरोप लग चुके हैं। उत्तराखंड निवासी आशा नेगी, जो मेरठ में नौकरी करती थीं, वर्ष 2018 से लापता हैं। परिजन सात साल से न्याय के लिए दर-दर भटक रहे हैं, लेकिन आज तक कोई मुकदमा छोड़िये एक फ़कत शिकायत तक दर्ज नहीं हुई है। पुलिस, प्रशासन और न्याय व्यवस्था पर कोई भरोसा भी करे तो कैसे ?

उत्तराखंड की एक बेटी के संबंध में धर्मांतरण के मास्टरमाइंड छांगुर बाबा गैंग की एक और वारदात सामने आई है। उत्तराखंड निवासी आशा नेगी, जो मेरठ और नोएडा में नौकरी किया करती थी, साल 2018 से लापता है। घरवाले 7 सालों से महज पुलिस में शिकायत दर्ज करने तक के लिए भी भटकते रहे हैं लेकिन आज तक कोई मुकदमा छोड़िये शिकायत तक दर्ज नहीं हुई है। निश्चित रूप से इसमें पुलिस और प्रशासन में गहराई तक जमा हुआ भ्रष्टाचार सामने आ रहा है।
बदर अख्तर सिद्दीकी ने प्रेम जाल में फंसाया

धर्मांतरण के मास्टरमाइंड ठाकुर बाबा के सबसे करीबी गुर्गे बदर अख्तर सिद्दीकी पर आरोपों की लिस्ट बढ़ती जा रही है। बदर अख्तर सिद्दीकी पर उत्तराखंड की भी बेटियों के धर्मांतरण के आरोप हैं। इसी में एक नाम उत्तराखंड की आशा नेगी का भी शामिल है। आशा नेगी के भाई अनिल नेगी ने मीडिया को बताया कि उनकी बहन आशा नेगी एक कंपनी में एचआर के पद पर काम कर रही थी। वर्ष 2016-17 में आशा ने नोएडा सेक्टर 62 की एक कंपनी में अप्लाई किया और वह नोएडा शिफ्ट हो गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक बदर अख्तर सिद्दीकी ने आशा को अपने प्रेम जाल में फंसाया।
बुरी तरह पीटता था हैवान

परिवार का कहना है कि अप्रैल 2018 में आशा की आखिरी बार अपने छोटे भाई सुनील से बात हुई थी। उसके बाद से लेकर आज तक परिवार आशा नेगी की आवाज तक सुनने को तरस गया है। उनका कहना है कि आशा के नंबर से व्हाट्सएप मैसेज बदर अख्तर सिद्की कर रहा था। आशा के बड़े भाई अनिल ने बताया कि लापता होने से पहले आशा ने बदर अख्तर के पासपोर्ट और आधार के साथ ही ड्राइविंग लाइसेंस की कॉपी उन्हें व्हाट्सएप पर भेजी थी। बदर अख्तर ने आशा की कई बार बुरी तरह पिटाई भी की थी और चोटिल हालत में आशा ने अपने भाई को व्हाट्सएप पर फोटो भी शेयर की थी।
पुलिस ने शिकायत तक नहीं की दर्ज

2019 में अनिल नेगी ने सिविल लाइंस थाने में केस दर्ज करने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने एफआईआर लिखने से इनकार कर दिया। भाई का कहना है कि बदर अख्तर का कोई करीबी न्याय विभाग में उच्च पद पर तैनात है जिसके चलते केस दबा दिया गया और पुलिस एक दूसरे के क्षेत्राधिकार का हवाला देकर केस रफा दफा करती रही।
पाप में बड़े-बड़े उच्च अधिकारी शामिल

रिपोर्ट्स के मुताबिक धर्मांतरण के पीछे विदेशी फंडिंग तो है ही साथ में भारतीय न्याय व्यवस्था और भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था में तैनात बड़े-बड़े उच्च अधिकारी भी शामिल हैं। थाना सिविल लाइंस में जो इंस्पेक्टर तैनात था वह भी बदर अख्तर सिद्दीकी की ही बिरादरी का था। 7 सालों के बाद भी आशा नेगी का अब तक कोई पता नहीं चल सका है। उत्तराखंड की बेटी के परिवार वाले आज भी पुलिस के थानों और सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं।
पुलिस, प्रशासन और न्याय व्यवस्था की भी खुली पोल

धर्मांतरण के मास्टरमाइंड छांगुर बाबा और उसके करीबी गुर्गे बदर अख्तर सिद्धकी की पोल खुली तो भारतीय प्रशासनिक और न्याय व्यवस्था की गहराई में उतरे करप्शन की भी परतें छंट रही हैं। सबसे गंभीर सवाल ये है कि आम जनता पुलिस, प्रशासन और न्याय व्यवस्था पर कैसे भरोसा करे ?

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