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उत्तराखंड: सुधरेगी पहाड़ में शिक्षा-व्यवस्था की स्थिति, दुर्गम क्षेत्रों के 550 स्कूलों को उद्योगपति लेंगे गोद

देहरादून: उत्तराखंड के दुर्गम क्षेत्रों के 550 सरकारी प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों को उद्योगपति गोद लेंगे और उनमें आधुनिक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करेंगे। ये उद्योगपति प्रदेश के विषम भौगोलिक परिस्थितियों में स्थित स्कूलों में छात्रों को आधुनिक सुविधाएं प्रदान करेंगे।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी-2020) के पांच वर्ष पूरे होने पर उत्तराखंड में शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए गए हैं। प्रदेश में ई-शिक्षा का विस्तार किया जा रहा है, शिक्षा में नवाचार और कौशल विकास को प्राथमिकता दी जा रही है। बस्ते के बोझ को कम करने के लिए स्कूलों को ई-शिक्षा से जोड़ने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं, अब सरकार द्वारा इन योजनाओं का दायरा और भी बढ़ाया जा रहा है। इसके लिए उत्तराखंड शिक्षा विभाग और कॉरपोरेट समूहों के बीच सरकारी स्कूलों को गोद लेने के लिए एक एमओयू साइन किया जाएगा।

सरकार और उद्योगपतियों के बीच होगा MOU
बीते सोमवार को उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में 30 जुलाई को राजभवन में एक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इस कार्यक्रम में राज्य के 550 से अधिक उद्योगपतियों को आमंत्रित किया गया है। इन विभिन्न उद्योग समूहों और उत्तराखंड शिक्षा विभाग के बीच एमओयू (सहभागिता ज्ञापन) पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।

559 व्यावसायिक विद्यालय इस पहल में होंगे शामिल
डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि सरकार की इस योजना के तहत ये उद्योगपति प्रदेश 550 राजकीय प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों को गोद लेंगे। इस योजना में अधिकांश स्कूल दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों के शामिल होंगे। इसका उद्देश्य विषम भौगोलिक परिस्थितियों में स्थित स्कूलों में छात्रों को आधुनिक सुविधाएं प्रदान करना है। ये उद्योगपति इन विद्यालयों में मॉडल क्लासरूम, कंप्यूटर और विज्ञान प्रयोगशाला, पुस्तकालय और आधुनिक फर्नीचर, आधुनिक शौचालय, खेल सामग्री और मैदान, सुरक्षित चारदीवारी जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराएंगे। इसके साथ ही उनकी सालभर देखभाल भी की जाएगी। आने वाले समय में राज्य में संचालित 559 व्यावसायिक विद्यालयों को भी इस पहल में शामिल किया जाएगा। ऐसे विद्यालयों को उद्योग समूहों से जोड़ने के बाद व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को उद्योगों की आवश्यकताओं के अनुसार और अधिक प्रभावी ढंग से संचालित किया जा सकेगा।

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