नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने क्रिकेट प्रीमियर लीग का ठेका बिना टेंडर प्रक्रिया सार्वजनिक किए एक ही कंपनी को देने के मामले में बीसीसीआई और उत्तराखंड क्रिकेट बोर्ड को नोटिस जारी किया है। याचिका में बोर्ड पर खिलाड़ियों के लिए मिले 22 करोड़ रुपये के दुरुपयोग और लीग से संभावित आय को माफ करने का आरोप लगाया गया है।
जानकारी के अनुसार उत्तराखंड क्रिकेट बोर्ड के पूर्व उपाध्यक्ष सुरेंद्र भंडारी ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसमें उन्होंने बताया कि उत्तराखंड क्रिकेट बोर्ड का गठन वर्ष 2006 में किया गया था और इसे बीसीसीआई से 2019 में आधिकारिक मान्यता मिली थी। 2019 से लेकर अब तक बीसीसीआई ने इसके संचालन और खिलाड़ियों की सुविधाओं के लिए बोर्ड को 22 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि उपलब्ध कराई है।
धनराशि का दुरुपयोग
सुरेंद्र भंडारी द्वारा दायर याचिका में बोर्ड पर आरोप लगाया गया है कि खिलाड़ियों की बुनियादी सुविधाओं और खेल को बेहतर बनाने के बजाय इस धन का दुरूपयोग किया गया। उदाहरण के तौर पर, खिलाड़ियों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने के नाम पर केवल केले दिए गए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि आगामी 23 सितम्बर से शुरू होने जा रहा उत्तराखंड क्रिकेट प्रीमियर लीग (UCPL) का ठेका भी नियमों को दरकिनार कर एक ही कंपनी के मालिक को दे दिया गया है।
विज्ञापन शुल्क किया गया माफ
उन्होंने कहा कि नियमों के अनुसार, एक व्यक्ति केवल एक ही टेंडर में भाग ले सकता है, लेकिन बोर्ड ने इस नियम का उल्लंघन किया गया है। अनुमान लगाया गया था कि इस प्रक्रिया से बोर्ड को लगभग दो करोड़ रुपये की आय होती, लेकिन बोर्ड के पदाधिकारियों ने इसे भी छोड़ दिया। साथ ही, मैचों के दौरान जिन फ्रेंचाइजी कंपनियों से विज्ञापन शुल्क लिया जा सकता था, उसे भी माफ कर दिया गया, जिससे बोर्ड को नुकसान हुआ। याचिका में अदालत से गुजारिश की गई है कि पूरे मामले की स्वतंत्र जांच कराई जाए, ताकि धनराशि के दुरुपयोग और ठेके में हुई अनियमितताओं की सच्चाई सामने आ सके।
BCCI और क्रिकेट बोर्ड को भेजा नोटिस
नैनीताल हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की। है। कोर्ट ने इस मामले में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) और उत्तराखंड क्रिकेट बोर्ड और उससे जुड़े पदाधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।