देहरादून: /आज बृहस्पतिवार को भैया दूज के अवसर पर वैदिक मंत्रोच्चार और धार्मिक परंपराओं के साथ केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं। इस दौरान हजारों श्रद्धालुओं ने केदार बाबा के दर्शन किए।
ग्याहरवें ज्योर्तिलिंग भगवान केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के मौके पर मंदिर को फूलों से सजाया गया है। बीते बुधवार को केदारनाथ भगवान की चल विग्रह पंचमुखी डोली को मंदिर के सभामंडप में विराजमान कर दिया गया था। मंदिर के कपाट बंद होने की प्रक्रिया मंदिर के गर्भगृह में विशेष पूजाओं के साथ सुबह चार बजे से शुरू हो गई थी। आज 23 अक्टूबर को भैयादूज के पावन पर्व पर केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए सुबह 8:30 बजे बंद कर दिए गए।
साढ़े आठ बजे हुए मुख्य द्वार के कपाट बंद
सुबह छह बजे मुख्य पुजारी ने केदारनाथ धाम के दिगपाल भगवान भैरवनाथ का आह्वान कर धर्माचार्यों की उपस्थिति में स्यंभू शिवलिंग को विभूति और शुष्क फूलों से ढककर समाधि रूप में विराजमान किया। आज ठीक सुबह साढ़े आठ बजे मुख्य द्वार के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिये गए। जिसके बाद बाबा की चल उत्सव विग्रह डोली ने धाम से शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए प्रस्थान किया। अब सेना के बैंड की भक्तिमय धुनों के साथ पंचमुखी विग्रह मूर्ति विभिन्न पड़ावों से होते हुए शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में विराजमान होगी।
आज रामपुर में होगा डोली का रात्रि विश्राम
केदार बाबा की चल उत्सव विग्रह डोली रात्रि प्रवास के लिए आज रामपुर पहुंचेगी। कल 24 अक्टूबर को डोली रामपुर से गुप्तकाशी विश्वनाथ मंदिर में पहुंचेगी और वहीं रात्री विश्राम करेगी। जहां से 25 अक्टूबर को डोली शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी। जिसके बाद अगले छह महीने बाबा केदार के दर्शन ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में ही होंगे।
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