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मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम होगा निरस्त, अल्पसंख्यक संस्थानों के लिए बनेगा नया प्राधिकरण

देहरादून: धामी कैबिनेट ने 2016 में कांग्रेस सरकार द्वारा पास किए गए मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम को निरस्त करने का फैसला लिया है। इसके साथ ही आगामी गैरसैंण विधानसभा सत्र में उत्तराखंड अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान अधिनियम बिल पेश करने का भी फैसला लिया है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में रविवार को यानि आज देहरादून सचिवालय में कैबिनेट बैठक आयोजित की गई थी। कैबिनेट बैठक में आगामी 19 अगस्त से भराड़ीसैंण (गैरसैंण) विधानसभा में शुरू होने वाले मानसून सत्र के एजेंडे पर चर्चा हुई। इस दौरान सरकार द्वारा पेश किए जाने वाले विधेयकों और अध्यादेशों के प्रस्तावों को कैबिनेट की मंजूरी दी गई। धामी कैबिनेट ने 2016 में कांग्रेस सरकार द्वारा पास किए गए मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम को निरस्त करने का फैसला लिया है। इसके साथ ही कैबिनेट ने यह भी फैसला लिया कि आगामी गैरसैंण विधानसभा सत्र में उत्तराखंड अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान अधिनियम बिल पेश किया जाएगा।
अल्पसंख्यक समुदायों को मिलेगी समान सुविधा

इस नए कानून के तहत एक प्राधिकरण (Authority) का गठन होगा, जो राज्य में अल्पसंख्यक समुदायों—मुस्लिम, सिख, पारसी, बौद्ध, जैन और क्रिश्चियन—के शिक्षा संस्थानों को मान्यता देगा और नियमन करेगा। अब तक मदरसा बोर्ड सिर्फ मुस्लिम शिक्षण संस्थानों तक सीमित था, लेकिन नई व्यवस्था से सभी अल्पसंख्यक समुदायों को समान सुविधा मिलेगी। इस कानून को लागू करने वाला देश का पहला राज्य उत्तराखंड बनेगा। धामी सरकार का मानना है कि इस कानून के लागू होने से शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और समावेशिता बढ़ेगी, अवैध मदरसों पर भी रोक लगगी और अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को एक संस्थागत पहचान मिलेगी।
उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम निरस्त

धामी कैबिनेट ने उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम-2016 और गैर-सरकारी अरबी और फारसी मदरसा मान्यता नियम-2019 को निरस्त करने का फैसला लिया है। यानी अब राज्य में मदरसों के लिए अलग से कोई बोर्ड या मान्यता नियम प्रभावी नहीं रहेंगे। इसके अलावा सीएम धामी ने कैबिनेट बैठक में 220 चिकित्सा अधिकारियों को नियुक्ति पत्र भी सौंपे।

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