Breaking News

यूपीआरएनएन) के कामों में हुए 137 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच करेगी स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम

उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम (यूपीआरएनएन) के कामों में हुए 137 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच एसआईएस (विशेष जांच दल) करेगा। मंगलवार को वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह ने इस संबंधी निर्देश जारी किए हैं। एसएसपी के निर्देशों के बाद नेहरू कालोनी थाने से इस मामले में दर्ज सभी छह मुकदमे और उनके दस्तावेज एसआइएस को ट्रांसफर किए जा रहे हैं। मामले में उप्र राजकीय निर्माण निगम के पांच पूर्व अफसर आरोपित हैं।

सरकार की ओर से विभिन्न विभागों के निर्माण कार्य उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम को सौंपा गया था। आरोप है कि निगम के पांच अधिकारियों ने रकम हड़पने के लिए नियमों को ताक पर रखा। विभागीय जांच में पाया गया कि इन तत्कालीन अधिकारियों ने प्राप्त धनराशि से अधिक खर्च कर डाला और एक कार्य का धन अन्यत्र भी खर्च दर्शाया गया। इस पूरी राशि की वसूली नहीं की जा सकी।

वहीं बिना एमबी (मेजरमेंट बुक/माप पुस्तिका) के ही 9.93 करोड़ रुपये का संदिग्ध भुगतान दिखाया। जिसे यह राशि निगम में वित्तीय हानि के रूप में दर्ज की गई है। प्रकरण में जांच के बाद आरोपित सतीश कुमार को 96 लाख रुपये के लिए व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी पाया गया है।इसी तरह 15 राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण एसपीए (आर) योजना में कौशल विकास एवं सेवायोजन विभाग ने निगम को 15.17 करोड़ रुपये दिए थे। जिसमें भूमि उपलब्ध न हो पाने के कारण बसुकेदार, चिरबटिया, बडावे, थल, गंगोलीहाट और कठपुडियाछीना में काम शुरू नहीं किया जा सका। इसके बाद भी करीब छह करोड़ रुपये अन्य विभागों के कार्यों में खर्च करना दिखाया गया। इस व्यय का समायोजन भी संभव नहीं किया गया और पूरी राशि डकार ली गई। इस मामले में पूर्व महाप्रबंधक शिव आसरे शर्मा, पूर्व परियोजना प्रबंधक प्रदीप कुमार शर्मा, बर्खास्त सहायक लेखाधिकारी वीरेंद्र कुमार रवि पर मुकदमा दर्ज किया गया।एकीकृत औद्योगिक आस्थानों में स्ट्रीट लाइटों, बैकअप इनर्जी, एबीसी कंडक्टर लाइन बिछाने और स्ट्रीट लाइटों के पुनरुद्धार के लिए मिले बजट में धांधली की गई। पूर्व परियोजना प्रबंधक प्रदीप कुमार शर्मा ने इन कार्यों के लिए प्राप्त धनराशि और उस पर अर्जित ब्याज से अधिक का खर्च दर्शाया। जिसके चलते उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम को 5.62 करोड़ रुपये से अधिक की चपत लग गई।

निर्माण निगम के अधिकारियों ने डिजास्टर रिलीफ सेंटर्स के निर्माण के लिए जमीन प्राप्त किए बिना ही 4.28 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया। साथ ही इस राशि का समायोजन अन्य कार्यों में दर्शाया गया। इसके बाद भी प्राप्ति और खर्च के अंतर को दूर नहीं किया जा सका। जांच में पाया गया है कि इस अनियमितता के लिए तत्कालीन परियोजना प्रबंधक सत्येदव शर्मा (अतिरिक्त महाप्रबंधक पद से रिटायर), बर्खास्त सहायक लेखाधिकारी वीरेंद्र कुमार रवि जिम्मेदार हैं। लिहाजा, इस प्रकरण में दोनों पर एफआईआर दर्ज की गई।

पूर्व महाप्रबंधक शिव आसरे शर्मा, तत्कालीन परियोजना प्रबंधक सत्येदव शर्मा और पूर्व सहायक लेखाधिकारी राम प्रकश गुप्ता ने पर्यटन विभाग से संबंधित कार्य बिना सेंटेज की गणना के ही करा दिए थे। इससे राजकीय निर्माण निगम को 1.59 करोड़ रुपये की वित्तीय हानि हो गई। ऐसे में तीनों आरोपियों पर मुकदमा दर्ज किया गया।

Check Also

उत्तराखंड आपदा-प्रभावितों को PM मोदी का 1200 करोड़ का पैकेज, मृतकों के परिजनों को विशेष मदद

देहरादून: आपदा प्रभावित क्षेत्रों के हवाई सर्वेक्षण एवं राहत, बचाव व पुनर्वास कार्यों की समीक्षा …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *