Breaking News

उत्तराखंड वन्यजीव संरक्षण में गिरावट, चिंताजनक रिपोर्ट आई सामने

जैव विविधता के मामले में धनी कहा जाने वाला उत्तराखंड इसके संरक्षण के पैमाने में पिछड़ रहा है। भारतीय वन्यजीव संस्थान की राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों की नवीनतम प्रबंधन प्रभावशीलता मूल्यांकन पर केंद्रित रिपोर्ट इसकी तस्दीक करती है।

जैव विविधता के संरक्षण और निर्धारित मूल्यों को प्राप्ति पर केंद्रित यह रिपोर्ट बताती है कि राज्य के नौ संरक्षित क्षेत्रों में से पांच के मूल्यांकन स्कोर में पिछली बार की तुलना में इस बार गिरावट आई है। रिपोर्ट में इन संरक्षित क्षेत्रों की स्थिति में सुधार के लिए कई सुझाव दिए गए हैं। इस सबके मद्देनजर वन विभाग अब संस्थान की रिपोर्ट के आधार पर कदम उठाएगा।परिणामस्वरूप इसे बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। भारतीय वन्यजीव संस्थान ने उत्तराखंड में वर्ष 2006 से लेकर वर्ष 2018 तक यहां के संरक्षित क्षेत्रों यानी नेशनल पार्क और वन्यजीव अभयारण्यों का स्कोर जारी किया था। अब वर्ष 2019 से लेकर अभी तक की स्थिति पर नौ संरक्षित क्षेत्रों के प्रबंधन प्रभावशीलता मूल्यांकन रिपोर्ट जारी की गई है।

यह रिपोर्ट बताती है कि उत्तराखंड के नौ में से पांच संरक्षित क्षेत्रों के स्कोर में गिरावट आई है। इनमें विश्व धरोहर में शामिल नंदा देवी नेशनल पार्क व फूलों की घाटी के प्रबंधन प्रभावशीलता स्कोर में पिछली बार के मुकाबले क्रमश: 21.61 व 8.33 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है।

अस्कोट अभयारण्य तो बेहद कमजोर श्रेणी में आ गया है। उसका पिछला स्कोर 47.32 प्रतिशत था जो अब घटकर 35.16 प्रतिशत पहुंच गया है। इसके अलावा गोविंद नेशनल पार्क व गोविंद पशु विहार और केदारनाथ अभयारण्य के स्कोर में भी गिरावट आई है। अलबत्ता, चार संरक्षित क्षेत्रों ने अपने स्कोर में सुधार किया है।

ये दिए गए हैं सुझाव

इन संरक्षित क्षेत्रों की सेहत में सुधार के दृष्टिगत रिपोर्ट में कई सुझाव भी दिए गए हैं। इस कड़ी में संरक्षित क्षेत्रों में कार्मिकों के रिक्त पदों को भरने के साथ ही युवा कार्मिकों की तैनाती सुनिश्चित करने, संरक्षित क्षेत्रों के ईको सेंसेटिव जोन अधिसूचित करने के साथ ही सीमांकन करने, वासस्थल विकास को प्रभावी कदम उठाने, संरक्षण में स्थानीय निवासियों की भागीदारी सुनिश्चित करने के साथ ही आजीविका के अवसर सृजित करने, वन्यजीवों के शिकार की घटनाओं को रोकने के लिए क्विक रिस्पांस टीमों का गठन करने जैसे सुझाव दिए गए हैं। उधर, राज्य के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक आरके मिश्र ने बताया कि भारतीय वन्यजीव संस्थान से यह रिपोर्ट प्राप्त की जा रही है। फिर इसके आधार पर संरक्षित क्षेत्रों में कदम उठाए जाएंगे।

केदारनाथ में हेलीकॉप्टरों के शोर से बिदक रहे बेजबान
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि यात्राकाल के दौरान केदारनाथ धाम

प्रबंधन प्रभावशीलता मूल्यांकन के तहत संरक्षित क्षेत्रों का प्रबंधन, जैव विविधता के संरक्षण और इसके लिए निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति को उठाए गए कदमों को वैज्ञानिक ढंग से कसौटी पर परखा जाता है। फिर इसके आधार पर स्कोर निर्धारित किया जाता है। इससे पता चलता है कि संरक्षित क्षेत्र की सेहत कैसी है और यदि कहीं कोई कमी है तो उसमें सुधार के लिए क्या-क्या कदम उठाए जा सकते हैं।के लिए हेलीकॉप्टरों की लगातार उड़ान से केदारनाथ अभयारण्य में वन्यजीवन में खलल पड़ रहा है। हेलीकॉप्टरों की गड़गड़ाहट से बेजबान बिदक रहे हैं।

प्रबंधन प्रभावशीलता मूल्यांकन स्कोर (प्रतिशत में)

संरक्षित क्षेत्र, वर्तमान, पिछला
गोविंद नेशनल पार्क व गोविंद पशु विहार, 48.33, 52.3
अस्कोट अभयारण्य, 35.16, 47.32
नंदादेवी नेशनल पार्क, 54.17, 75.78
फूलों की घाटी नेशनल पार्क, 62.5, 70.83
केदारनाथ अभयारण्य, 57.26, 59.16
बिनसर अभयारण्य, 60.94, 51.67
गंगोत्री नेशनल पार्क, 65.63, 46.67
मसूरी अभयारण्य, 63.28, 57.5
नंधौर अभयारण्य, 60.94, 54.16

Check Also

उत्तराखंड आपदा-प्रभावितों को PM मोदी का 1200 करोड़ का पैकेज, मृतकों के परिजनों को विशेष मदद

देहरादून: आपदा प्रभावित क्षेत्रों के हवाई सर्वेक्षण एवं राहत, बचाव व पुनर्वास कार्यों की समीक्षा …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *